Thursday, December 21, 2023

वो जब जब्र भी देखा है

ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई।

        -मुजफ्फर रज़्मी

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