Monday, December 25, 2023

ख़ुद चिराग़ बन कर

ख़ुद चिराग़ बन कर जल वक़्त के अँधेरे में, 
भीख के उजालों से रौशनी नहीं होती। 

-हस्तीमल ‘हस्ती’

No comments: