ग़ज़लों के चुनिंदा शेर
ये जो कालोनियों के सामने दस-बीस रिक्शे हैं
इन्हें नज़दीक से देखो तुम्हारे गाँव बैठे हैं!
-प्रताप सोमवंशी
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