Saturday, December 09, 2023

ज़रा-सा क़तरा

ज़रा-सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता है
समुंदरों ही के लहजे में बात करता है

शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं
किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है

             -वसीम बरेलवी

No comments: