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Sunday, July 28, 2024

दूसरों पर अगर

दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए
सामने आइना रख लिया कीजिए

         -ख़ुमार बाराबंकवी

Thursday, February 15, 2024

दुनिया भर की

दुनिया भर की राम-कहानी किस किस ढंग से कह डाली
अपनी कहने जब बैठे तो एक एक लफ़्ज़ पिघलता था

                        -ख़लील-उर-रहमान आज़मी

दुनिया भर की

दुनिया भर की यादें हम से मिलने आती हैं
शाम ढले इस सूने घर में मेला लगता है

                    -क़ैसर-उल जाफ़री

Wednesday, February 14, 2024

दरिया को अपनी

दरिया को अपनी मौज की तुग़ियानियों से काम
किश्ती किसी की पार हो या दरमियां रहे

           -मौलाना अल्ताफ़ हुसैन 'हाली'

[1837 - 1914]

Wednesday, January 24, 2024

दौलत, इज्जत

दौलत, इज्जत, शोहरत, अजमत सब कुछ चाट लिया दीमक ने
प्यार अमर था, प्यार अमर है, हारी दुनिया, जीता रिश्ता

          -जावेद अकरम फारूक़ी

Monday, January 22, 2024

दिल में बंदों के

दिल में बंदों के बहुत ख़ौफ़-ए-ख़ुदा था पहले
ये ज़माना कभी इतना न बुरा था पहले 

-मौज फतेहगढ़ी 
 

 
[राजेंद्र बहादुर मौज, 03 जुलाई 1922,  फ़र्रूख़ाबाद, उत्तर प्रदेश]

Tuesday, January 16, 2024

दे सको तो

दे सको तो कहूँ और क्या चाहिये
साँस घुटती है ताज़ा हवा चाहिये

              -महेन्द्र हुमा 

दरिया का ये

दरिया का ये उफान घड़ी दो घड़ी का है
कुछ देर किनारे पे ठहर क्यों नहीं जाते
     
             -कृष्णानन्द चौबे

दिलों की साँकलें

दिलों की साँकलें और ज़हन की ये कुंडियाँ खोलो
बड़ी भारी घुटन है, द्वार खोलो, खिड़कियाँ खोलो

              -कुँअर बेचैन

दुश्मनों से

दुश्मनों से प्यार होता जाएगा 
दोस्तों को आज़माते जाइए 

            -ख़ुमार बाराबंकवी

Monday, January 15, 2024

दोस्तों ने जिसे

दोस्तों ने जिसे डुबाया हो
वो ज़रा देर से सँभलता है

    -बालस्वरूप राही

Wednesday, January 10, 2024

दोस्तो इस दौर

दोस्तो इस दौर की सब से बड़ी ख़ूबी है ये 
आदमी पत्थर का दिल पत्थर का घर पत्थर का है 

-हैरत फ़र्रुख़ाबादी



[ हैरत फ़र्रुखाबादी, मूल नाम- ज्योति प्रसाद मिश्रा,  08 फरवरी 1930]

Monday, January 08, 2024

दिल ने घंटों की

दिल ने घंटों की धड़कन लम्हों में पूरी कर डाली 
वैसे अनजानी लड़की ने बस का टाइम पूछा था 

    -फ़ज़्ल ताबिश

Sunday, January 07, 2024

दाना लेने उड़े

दाना लेने उड़े परिंदे कुछ
आ के देखा तो आशियाँ गायब   
  
         -सुल्तान अहमद

Friday, January 05, 2024

दाने तक पहुँची

दाने तक पहुँची तो चिड़िया जिन्दा थी
जिन्दा रहने की कोशिश ने मार दिया

             -परवीन शाकिर

Thursday, January 04, 2024

दुकानों में खिलौने

दुकानों में खिलौने देखकर मुँह फेर लेते हैं
किसी मुफ़लिस के बच्चों की कोई देखे ये लाचारी

            -कुँअर बेचैन

Sunday, December 31, 2023

दिल्ली कहाँ गईं

दिल्ली कहाँ गईं तिरे कूचों की रौनक़ें 
गलियों से सर झुका के गुज़रने लगा हूँ मैं 

-जाँ निसार अख़्तर

देवता भी हो

देवता भी हो अगर मग़रूर, उसके सामने 
सर भले सिजदे में हो, पर बंदगी मत कीजिये

-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

दीवारों को छोटा

दीवारों को छोटा करना मुश्किल है 
अपने क़द को ऊँचा कर के देखा जाए

-भारत भूषण पंत

Friday, December 29, 2023

दोपहर तक बिक गया

दोपहर तक बिक गया बाजार में एक -एक झूठ,
शाम तक बैठे रहे हम अपनी सच्चाई लिए।

            -विजेन्द्र सिंह परवाज़