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Thursday, December 28, 2023

फिर सड़क पर

फिर सड़क पर बन रहे हैं कितने शीशे के मकाँ,
देखिए फिर झोंपड़ों से कब कोई पत्थर चले।

-बदनाम नज़र 

गिरती दीवारों पे

गिरती दीवारों पे कुछ परछाइयाँ रहने लगीं,
घर को वीराँ देख कर तन्हाइयाँ रहने लगीं।

-बदनाम नज़र 

उस ने अच्छा ही किया

उस ने अच्छा ही किया रिश्तों के धागे तोड़ कर,
मैं भी कुछ उकता गया था वो भी कुछ ऊबा सा था।

-बदनाम नज़र