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Sunday, December 24, 2023

जहाँ से हम चले थे

जहाँ से हम चले थे फिर वहीं आख़िर में जा पहुँचे,
हमारी सोच ने हमको क़बीलाई बना डाला। 

          -संजीव गौतम

अजब हैं माइने

अजब हैं माइने इस दौर की गूंगी तरक्की के,
मशीनी लोग ढाले जा रहे हैं कारख़ानों में। 

-संजीव गौतम

वो दूरी नाप ही लेंगे

वो दूरी नाप ही लेंगे कभी तो आसमानों की,
परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उड़ानों में।

-संजीव गौतम

झूठ की जैकार

झूठ की जैकार यूँ ही बोलिये, 
नुक्स भी आ जायेगा किरदार में। 

-संजीव गौतम

हमें तो फ़िक्र है

हमें तो फ़िक्र है उसकी, सो हम तो टोकेंगे,
हमें पता है वो हमको बुरा समझता है। 

-संजीव गौतम

झूठ ने पर कतर

झूठ ने पर कतर दिये सच के, 
हौसलों में उड़ान है फिर भी। 

        -संजीव गौतम

ग़लत हो तुम कि

ग़लत हो तुम कि अब कुछ हो नहीं सकता,
घड़ी कोई नहीं होती सँभलने की। 

      -संजीव गौतम

भले ही बाँट लें

भले ही बाँट लें माँ-बाप को बच्चे बुढ़ापे में,
मगर माँ बाप अपने प्यार को आधा नहीं करते। 

          -संजीव गौतम

उसूलों के लिए

उसूलों के लिए जो भी लड़ा होगा, 
वो अपनी उम्र से कितना बड़ा होगा। 

            -संजीव गौतम