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Monday, January 01, 2024

कुछ धूप आज छीनें

कुछ धूप आज छीनें बढ़कर इन्हीं से आओ
मुट्ठी में इनकी सूरज सदियों से बस रहा है

-डॅा. अनिल गहलौत

मेले में ले सके

मेले में ले सके न कुछ भी भाव पुछकर
हर बार अण्टियाँ टटोलते पिरे हैं हम

-डॅा. अनिल गहलौत