ग़ज़लों के चुनिंदा शेर
ये जिस्म का मकान घड़ी दो घड़ी का है,
तू मान या न मान, घड़ी दो घड़ी का है।
-अंसार कम्बरी
मौत के डर से नाहक परेशान हैं
आप ज़िन्दा कहाँ हैं जो पर जाएँगे