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Friday, January 05, 2024
मेरी बस्ती के
मेरी बस्ती के सभी लोगों को जाने क्या हुआ
देखते रहते हैं सारे बोलता कोई नहीं
-माधव कौशिक
उस आदमी की
उस आदमी की वक़्त सुनाता है दास्तान
जो आदमी दास्तान से आगे निकल गया
-माधव कौशिक
अक्स गर बेदाग़ है
अक्स गर बेदाग़ है तो खुद से शरमाते हो क्यों
आईने के सामने आने से कतराते हो क्यों ?
-माधव कौशिक
Tuesday, December 12, 2023
उसी इंसान का चेहरा
उसी इन्सान का चेहरा शहर को याद रहता है,
जो रहकर भीड़ में भी, भीड़ में शामिल नहीं होता।
-माधव कौशिक
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