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-ज़हीर कुरैशी
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Tuesday, January 16, 2024
तमाम मौके
तमाम मौके लगे हाथ चलते-चलते भी
कभी-कभी जो हमें दौड़कर नहीं मिलते
-ज़हीर कुरेशी
Tuesday, December 12, 2023
कितने हज़ार डर हैं
कितने हज़ार डर हैं हरएक आदमी के साथ,
क्या आपको भी आपके डर का पता लगा?
-ज़हीर कुरैशी
बाज़ारवाद आया
बाज़ारवाद आया तो बिकने की होड़ में
अनमोल वस्तुओं के भी तेवर बदल गए
-ज़हीर कुरैशी
जिन्हें जनता ने
जिन्हें जनता ने खारिज कर दिया था
सदन में आ गए कपड़े बदलकर
-ज़हीर कुरैशी
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