ग़ज़लों के चुनिंदा शेर
शहर, मोबाइलों से रोज़ अपने गाँव जाता है,
वो सबको फोन करता है, बताओ लोग कैसे हैं?
-प्रताप सोमवंशी
ये जो कालोनियों के सामने दस-बीस रिक्शे हैं
इन्हें नज़दीक से देखो तुम्हारे गाँव बैठे हैं!