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Thursday, January 04, 2024

गाँव की मत पाल

गाँव की मत पाल तू खुश्फ़हमियाँ
अब वहाँ के हाल भी अच्छे नहीं

          -हरेराम समीप

Friday, December 29, 2023

सत्ता के सूराखों में

सत्ता के सूराखों में है मज़हब की बारूद भरी, 
आग न इसमें लग जाए फिर मानवता है डरी हुई। 

-हरेराम समीप

ये जो संसद में

ये जो संसद में बिराजे हैं कई गोबर-गनेश, 
और कब तक हम उतारें इन बुतों की आरती।

-हरेराम समीप

बिल्ली ने उस रात

बिल्ली ने उस रात घोंसला जब चिड़िया का तोड़ दिया, 
पूरी रात बिना बच्चों के चीखी थी चिड़िया रानी। 

-हरेराम समीप

बड़े से भी बड़े

बड़े से भी बड़े पर्वत का सीना चीरता है खुद, 
किसी के पाँव से चलकर कोई दरिया नहीं आता।

            -हरेराम समीप

तेरहवीं के दिन

तेरहवीं के दिन बेटों के बीच बहस बस इतनी थी, 
किसने कितने ख़र्च किए हैं अम्मा की बीमारी में।
 
-हरेराम समीप

जब से महानगर में आया

जब से महानगर में आया आकर ऐसा उलझा मैं, 
भूल गया हूँ घर ही अपना घर की जिम्मेदारी में।

-हरेराम समीप 

चुपके-चुपके घर की

चुपके-चुपके घर की अलमारी में दीमक लग गई, 
ध्यान रख लेते तो बच जाते बड़े नुकसान से।

-हरेराम समीप

कुछ तो बोलो

कुछ तो बोलो आपस तुम बातचीत मत बंद करो, 
पड़ जाएगी सम्बंधों को वर्ना ढोनी ख़ामोशी।

        -हरेराम समीप

क्यों बुतों को

क्यों बुतों को दण्डवत कर और पूजा-पाठ कर, 
लोग चल देते हैं घर से फिर गुनाहों के लिए। 

-हरेराम समीप

इस ओर नागनाथ है

इस ओर नागनाथ है उस ओर साँपनाथ, 
इसको जिताइए कभी उसको जिताइए।
 
-हरेराम समीप

Saturday, December 09, 2023

ऐ अँधेरो ! देख लेंगे

ऐ अँधेरो ! देख लेंगे हम, तुम्हें भी कल सुबह, 
सूर्य को अपने सफर से लौट कर आने तो दो।

                           -हरेराम समीप