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Wednesday, July 31, 2024

कभी कभी तो

कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें 
उदास होने का कोई सबब नहीं होता 

                -बशीर बद्र

Monday, March 04, 2024

कहीं वो आके

कहीं वो आके मिटा दें न इन्तेज़ार का लुत्फ़
कहीं कुबूल न हो जाय इल्तेजा मेरी। 
                  -फ़िराक़ गोरखपुरी

Wednesday, February 14, 2024

क्या हुस्न ने

क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है
हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है

                -जिगर मुरादाबादी

कौन हमारे

कौन हमारे दर्द को समझा किस ने ग़म में साथ दिया
कहने को तो साथ हमारे तुम क्या एक ज़माना था

                    -इमदाद निज़ामी

कुछ कहने का

कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो
ऐ लोगो ख़ामोश रहो हाँ ऐ लोगो ख़ामोश रहो

                                -इब्न-ए-इंशा

Monday, January 22, 2024

किसी को घर से

किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा 

                            -अहमद फ़राज़

Sunday, January 21, 2024

काबे में भी वही है

काबे में भी वही है शिवाले में भी वही 
दोनों मकान उस के हैं चाहे जिधर रहे

-लाला माधव राम जौहर

Monday, January 15, 2024

कहीं दिखे ही

कहीं दिखे ही नहीं गाँवों में वो पेड़ हमें
कि जिनके साए की बूढ़े मिसाल देते हैं

                -द्विजेन्द्र द्विज

क्या राजा

क्या राजा, क्या दरबारी, क्या नौकर-चाकर, सब
राजकोष को खाने में मशगूल हो गए हैं

                 -अशोक रावत

कहते थे जिसे

कहते थे जिसे दूध का धोया हुआ सभी
निकला वो रँगा स्यार है, सच कह रहा हूँ मैं

      -कैलाश गौतम

कुछ करो ये

कुछ करो ये ज़िन्दगी अब ज़िन्दगी जैसी लगे
नहीं होती है बस खाने कमाने के लिये

                 -कमलेश द्विवेदी

कोई उन्हें भी

कोई उन्हें भी तो समझाए कोई कुछ उन से भी कहे
जब देखो तब आ जाते हैं मुझ को ही समझाने लोग

-रईस रामपुरी

कितने दिन

कितने दिन तक बंद ही रखा मुहूरत के लिये
एक कस्बे की नदी पर पुल नया बनने के बाद

                      -हरजीत सिंह

कोई दीवाना

कोई दीवाना जब होठों तक अमरित-घट ले आया
काल-बली बोला मैने तुझसे बहुतेरे देखे हैं 

      -सोम ठाकुर

कोंपल की हिफाज़त

कोंपल की हिफाज़त का हमें दे के भरोसा 
कितने ही कटे ज़िन्दा शजर देख रहा हूँ

              -अखिलेश तिवारी

कुछ लुटेरों ने

कुछ लुटेरों ने भी पहना है फ़रिश्तों का लिबास
इनके बारे में ग़लतफ़हमी न पाली जाए

                -लक्ष्मीशंकर वाजपेयी

Thursday, January 11, 2024

क्या नहीं मिल रहा

क्या नहीं मिल रहा यहां आजकल
बिक रहा है सरे आम ईमान तक

           -कृष्णानन्द चौबे

किसी मरीज़ से

किसी मरीज़ से कहना कि आप अच्छे हैं
ये बात कहने का मतलब दवा भी होता है

    -हबीब कैफ़ी

कभी जो गालियाँ

कभी जो गालियाँ दे माँ तो ये समझ लेना
कि उसकी गाली का मतलब दुआ भी होता है

      -हबीब कैफ़ी

Wednesday, January 10, 2024

किसी रईस की

किसी रईस की महफ़िल का ज़िक्र ही क्या है 
ख़ुदा के घर भी न जाएँगे बिन बुलाए हुए

                    -अमीर मीनाई