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Tuesday, December 19, 2023
वे दिन कब के हवा हो गये
वे दिन कब के हवा हो गये, नंगापन मजबूरी था,
नाच रही है अब दमयंती, स्वयं उघाड़ी नरवर में।
-रामकुमार कृषक
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