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Wednesday, February 14, 2024

कुछ कहने का

कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो
ऐ लोगो ख़ामोश रहो हाँ ऐ लोगो ख़ामोश रहो

                                -इब्न-ए-इंशा

'इंशा' जी उठो

'इंशा' जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी को लगाना क्या
वहशी को सुकूँ से क्या मतलब जोगी का नगर में ठिकाना क्या

                                -इब्न-ए-इंशा

Thursday, December 28, 2023

झूटे सिक्कों में भी

झूटे सिक्कों में भी उठा देते हैं ये अक्सर सच्चा माल,
शक्लें देख के सौदे करना, काम है इन बंजारों का।

-इब्न-ए-इंशा

आज तो हम को

आज तो हम को पागल कह लो, पत्थर फेंको तंज़ करो,
इश्क़ की बाज़ी खेल नहीं है, खेलोगे तो हारोगे।

-इब्न-ए-इंशा

अब तुझ से किस मुँह से

अब तुझ से किस मुँह से कह दें सात समुंदर पार न जा,
बीच की इक दीवार भी हम तो फाँद न पाए, ढा न सके।

-इब्न-ए-इंशा

उन का ये कहना

उन का ये कहना सूरज ही धरती के फेरे करता है,
सर-आँखों पर सूरज ही को घूमने दो ख़ामोश रहो।

-इब्न-ए-इंशा