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-अरुण साहिबाबादी
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Sunday, January 07, 2024
हर शख्स की
हर शख्स की खुशी में हुआ जब से मैं शरीक
उस दिन से मेरे घर कई त्यौहार हो गए
-अरुण साहिबाबादी
शंकर की तरह
शंकर की तरह सख्त जो किरदार हो गए
उनके लिए तो नाग भी सिंगार हो गए
-अरुण साहिबाबादी
अपने परों को लेकर
अपने परों को लेकर हर लम्हा डर रही है
कांटों के जंगलों से तितली गुजर रही है
-अरुण साहिबाबादी
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