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Thursday, January 04, 2024

हो गई है

हो गई है नदी बहुत भावुक
याद कर के पहाड़ की बातें

    -ओमप्रकाश यती

जरा सी चीज़ भी

जरा सी चीज़ भी कितनी कठिन उनके लिए तब थी
पिता की ज़िन्दगी के उस समर की याद आती है

                -ओमप्रकाश यती

Saturday, December 23, 2023

बेटी की शादी

बेटी की शादी, बेटे की फीस, दवा माँ की
हर इक चीज़ किसानों को फसलों में दिखती है। 

                -ओमप्रकाश यती

बड़ों का साथ मिल जाए

बड़ों का साथ मिल जाए तो कुछ होता है हासिल ही, 
नदी में मिल के झरने भी समन्दर ढूँढ़ लेते हैं।

              -ओमप्रकाश यती

बच्चों ने उम्मीदें तोड़ीं

बच्चों ने उम्मीदें तोड़ीं, चौथेपन में छोड़ गए, 
बाबा फिर भी आँखों में विश्वास जगाए बैठे हैं। 

           -ओमप्रकाश यती

जानते हैं सब

जानते हैं सब, उन्हें 'सम्मान' ये कैसे मिला, 
वो भले बोलें, ख़बर उनको मिली अख़बार से। 
       
            -ओमप्रकाश यती

कतर देता है पंख उनके

कतर देता है पंख उनके, जो ज्यादा उड़ने लगते हैं, 
किसी को वो कभी खुद से बड़ा होने नहीं देता।   
   
                   -ओमप्रकाश यती

Saturday, December 09, 2023

पहाड़ों, जंगलों से

पहाड़ों, जंगलों से तो सुरक्षित-सी निकल आई,

मगर शहरों के पास आकर, नदी खतरे में पड़ती है।


                        -ओमप्रकाश यती