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Wednesday, February 14, 2024
जब तुझे याद
जब तुझे याद कर लिया सुब्ह महक महक उठी
जब तिरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गई
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ऐ ख़ाक-नशीनो
ऐ ख़ाक-नशीनो उठ बैठो वो वक़्त क़रीब आ पहुँचा है
जब तख़्त गिराए जाएँगे जब ताज उछाले जाएँगे
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अब टूट गिरेंगी
अब टूट गिरेंगी ज़ंजीरें अब ज़िंदानों की ख़ैर नहीं
जो दरिया झूम के उट्ठे हैं तिनकों से न टाले जाएँगे
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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