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Tuesday, April 02, 2024

इस दुनिया में

इस दुनिया में मेरे भाई नफरत है मक्कारी है
ढूँढ रहा हूँ बस्ती-बस्ती मैं थोड़ा-सा अपनापन

                    -श्याम 'बेबस'


(आजकल, जून 1991)

ईंटें उनके सर के नीचे

ईंटें उनके सर के नीचे ईंटें उनके हाथों पर
ऊँचे महल बनाने वाले सोते हैं फुटपाथों पर

-कृश्न मोहन
(आजकल, जून 1991)

Wednesday, February 14, 2024

इशरत-ए-क़तरा

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना

                        -मिर्ज़ा ग़ालिब

इतना सन्नाटा है

इतना सन्नाटा है बस्ती में कि डर जाएगा
चाँद निकला भी तो चुप-चाप गुज़र जाएगा

                    -क़ैसर-उल जाफ़री

'इंशा' जी उठो

'इंशा' जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी को लगाना क्या
वहशी को सुकूँ से क्या मतलब जोगी का नगर में ठिकाना क्या

                                -इब्न-ए-इंशा

Sunday, January 21, 2024

इरादे बाँधता हूँ

इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ 
कहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए  
           
                    -हफ़ीज़ जालंधरी

Monday, January 15, 2024

इस सदी सी

इस सदी सी बेहया कोई सदी पहले न थी
इस क़दर बेआब आँखों की नदी पहले न थी

                 -नूर मुहम्मद 'नूर'

इन्सान की तलाश

इन्सान की तलाश में बस्ती के लोग थे
इन बस्तियों को इतने ख़ुदा कौन दे गया

          -महेन्द्र हुमा 

Saturday, January 06, 2024

इक लफ़्ज़-ए-मुहब्बत का

इक लफ़्ज़-ए-मुहब्बत का अदना सा फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़, फ़ैले तो ज़माना है

            -जिगर मुरादाबादी

Friday, January 05, 2024

इस चमन के

इस चमन के मालियों की नस्ल ऐसी हो गई
जो भी आया, इस चमन को एक बंजर दे गया

      -ब्रह्मजीत गौतम

इंसाँ अक्सर सबसे

इंसाँ अक्सर सबसे तो बतियाता है
खुद से बातें करने से कतराता है

       -चन्द्रमोहन तिवारी

Saturday, December 30, 2023

इतने दिये बुझाए

इतने दिये बुझाए पागल आंधी ने,
सत्त रही दलाल, हाल के दंगे में।

-विजय किशोर मानव

Friday, December 29, 2023

इस ओर नागनाथ है

इस ओर नागनाथ है उस ओर साँपनाथ, 
इसको जिताइए कभी उसको जिताइए।
 
-हरेराम समीप

Thursday, December 28, 2023

इक उम्र कट गई

इक उम्र कट गई है तिरे इंतिज़ार में, 
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात।

-फिराक़ गोरखपुरी 

Wednesday, December 27, 2023

इक ज़िंदगी

इक ज़िंदगी अमल के लिए भी नसीब हो,
ये ज़िंदगी तो नेक इरादों में कट गई।

               -ख़लील क़िदवाई

Tuesday, December 26, 2023

इश्क़ ने

इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया,
वर्ना हम भी आदमी थे काम के।

                -मिर्ज़ा ग़ालिब

इसी सबब से तो

इसी सबब से तो हम लोग पेश-ओ-पस में हैं,
उसी से बैर भी है और उसी के बस में हैं।

            -इक़बाल उमर

Monday, December 25, 2023

इस दुनिया में अच्छे

इस दुनिया में अच्छे लोगों का ही बहुमत है,
ऐसा अगर न होता, ये संसार नहीं होता। 

         -अशोक रावत

Friday, December 08, 2023

ईमान बेचने को

ईमान बेचने को तो तैयार हैं हम भी

लेकिन खरीद हो जो अलीगढ़ के भाव से


-अकबर इलाहाबादी 

Thursday, December 07, 2023

इक ज़रा सी चाह में

इक ज़रा सी चाह में जिस रोज बिक जाता हूँ मैं
आईने के सामने उस दिन नहीं आता हूँ मैं

-आलोक यादव



[आलोक यादव, 30 जुलाई 1967, फर्रुखाबाद, उ.प्र.]