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Thursday, January 04, 2024

यही बेहतर है

यही बेहतर है अपने आप में अब सीख लें रहना
गए वो दिन चलन होता था जब मिलने-मिलाने का

          -मधु 'मधुमन'

लग गए जब

लग गए जब परिंदों के पर तो वो फिर
उड़ गए एक दिन आशियां छोड़ कर

                -मधु 'मधुमन'

लोग आवाज़

लोग आवाज़ उठाते नहीं मजबूरी में
और सरकार समझती है, रिआ’या ख़ुश है

                    -मधु 'मधुमन'

नमक लिए हुए

नमक लिए हुए फिरते हैं लोग मुट्ठी में
तू अपने ज़ख़्म ज़माने को मत दिखाया कर
            
                -मधु 'मधुमन

गुलाम बन गया है

गुलाम बन गया है हर कोई मशीनों का
हमें तो डर है कि अब आदमी की खैर नहीं

    -मधु 'मधुमन'

ज़रा मिल बैठ कर

ज़रा मिल बैठ कर आपस में थोड़ी गुफ़्तगू करिए
कोई भी मस'अला लड़ कर तो सुलझाया नहीं जाता

            -मधु 'मधुमन'

Wednesday, January 03, 2024

आसमानों की

आसमानों की बुलंदी से उसे क्या लेना
अपने पिंजरे में ही रह कर जो परिंदा खुश है

            -मधु 'मधुमन'

आँधियाँ बाल भी

आँधियाँ बाल भी बाँका नहीं करतीं उसका
पेड़ जो अपनी ज़मीनों से जुड़ा होता है

                -मधु 'मधुमन'