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Wednesday, July 31, 2024

सोचा नहीं करते हैं

सोचा नहीं करते हैं बीती हुई बातों को 
बहते हुए अश्कों को हिम्मत से दबा रखना 
    
                -पुष्पराज यादव

फ़रिश्ते से बढ़ कर है

फ़रिश्ते से बढ़ कर है इंसान बनना 
मगर इस में लगती है मेहनत ज़ियादा 

            -अल्ताफ़ हुसैन हाली

Wednesday, June 12, 2024

उसके हाथ में

उस के हाथ में ग़ुब्बारे थे फिर भी बच्चा गुम-सुम था
वो ग़ुब्बारे बेच रहा हो ऐसा भी हो सकता है
      -सैयद सरोश आसिफ़

Thursday, May 30, 2024

उसमें चूल्हे तो

उसमें चूल्हे तो कई जलते हैं 
एक घर होने से क्‍या होता है। 
        -डॉ. अख्तर नज़्मी 

Tuesday, April 02, 2024

इस दुनिया में

इस दुनिया में मेरे भाई नफरत है मक्कारी है
ढूँढ रहा हूँ बस्ती-बस्ती मैं थोड़ा-सा अपनापन

                    -श्याम 'बेबस'


(आजकल, जून 1991)

मैं भी इससे जूझ रहा हूँ

मैं भी इससे जूझ रहा हूँ साहस की तलवार लिए
कटते-कटते कट जाएगा ये सारे का सारा दिन

                        -राजेन्द्र व्यथित
                    
(आजकल, जून 1991)

ईंटें उनके सर के नीचे

ईंटें उनके सर के नीचे ईंटें उनके हाथों पर
ऊँचे महल बनाने वाले सोते हैं फुटपाथों पर

-कृश्न मोहन
(आजकल, जून 1991)

सब उसकी बात

सब उसकी बात निर्विरोेध मान लेते हैं
मानों वो आदमी न हुआ फैसला हुआ

           -सत्यपाल सक्सेना


(आजकल, अक्तूबर 1983) 

खेत में गूँजते

खेत में गूँजते फागुनी गीत सब
किसने छीने, कहाँ खो गए गाँव में
 
       -डा० गिरिराज शरण अग्रवाल



(आजकल, जुलाई 1983 ) 

Thursday, February 15, 2024

है शैख़ ओ

है शैख़ ओ बरहमन पर ग़ालिब गुमाँ हमारा
ये जानवर न चर लें सब गुल्सिताँ हमारा

            -शौक़ बहराइची

हाँ उन्हीं लोगों से

हाँ उन्हीं लोगों से दुनिया में शिकायत है हमें
हाँ वही लोग जो अक्सर हमें याद आए हैं

            -राही मासूम रज़ा

वो गाँव का इक

वो गाँव का इक ज़ईफ़ दहक़ाँ सड़क के बनने पे क्यूँ ख़फ़ा था
जब उन के बच्चे जो शहर जाकर कभी न लौटे तो लोग समझे

                -अहमद सलमान

यूँ न मुरझा

यूँ न मुरझा कि मुझे ख़ुद पे भरोसा न रहे
पिछले मौसम में तेरे साथ खिला हूँ मैं भी

                -मज़हर इमाम

ये रंग-ए-बहार

ये रंग-ए-बहार-ए-आलम है क्यूँ फ़िक्र है तुझ को ऐ साक़ी
महफ़िल तो तिरी सूनी न हुई कुछ उठ भी गए कुछ आ भी गए

                -असरार-उल-हक़ मजाज़

ये बोला दिल्ली

ये बोला दिल्ली के कुत्ते से गाँव का कुत्ता
कहाँ से सीखी अदा तू ने दुम दबाने की

                -साग़र ख़य्यामी

मिरी जगह

मिरी जगह कोई आईना रख लिया होता
न जाने तेरे तमाशे में मेरा काम है क्या

                -ज़ेब ग़ौरी

बरगद की शाख़

बरगद की शाख़ तोड़ दी आँधी ने पिछली रात
इस वास्ते तो गाँव का बूढ़ा उदास है

                -इमरान राहिब

फूल किलते

फूल खिलते रहेंगे दुनिया में
रोज़ निकलेगी बात फूलों की

            -मख़दूम मुहिउद्दीन

दुनिया भर की

दुनिया भर की राम-कहानी किस किस ढंग से कह डाली
अपनी कहने जब बैठे तो एक एक लफ़्ज़ पिघलता था

                        -ख़लील-उर-रहमान आज़मी

तमन्नाओं में

तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ
खिलौने दे के बहलाया गया हूँ

            -शाद अज़ीमाबादी