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Monday, January 22, 2024

राम के राज की

राम के राज की तस्वीर थी अपनी धरती
मसलक-ए-फ़िक्र-ओ-अमल उन्स-ओ-वफ़ा था पहले 

-मौज फतेहगढ़ी

Tuesday, January 16, 2024

रेत में तब्दील

रेत में तब्दील चट्टानों को होना ही पड़ा
जाने कितना हौसला पुर-जोश सरिताओं में था

        -एहतराम इस्लाम

Sunday, January 07, 2024

रास्ते जब

रास्ते जब नए बनाओगे
कुछ तो काँटे जरूर पाओगे

         -सुल्तान अहमद

Saturday, January 06, 2024

रात कितनी भी

रात कितनी भी घनी हो सुबह आयेगी ज़रूर
लौट आया आपका विश्वास तो अच्छा लगा

-रामदरश मिश्र

Thursday, January 04, 2024

रफ्तः रफ्तः जो

रफ्तः रफ्तः जो हक़ीकत थे, कहानी हो गए
ख़ून से सींचे हुए रिश्ते भी पानी हो गए

             -कुँअर बेचैन

Sunday, December 31, 2023

रह नहीं सकते

रह नहीं सकते उड़ानों में ही ज़्यादा देर तक,
आसमाँ वाले परिन्दों को धरा भी चाहिए। 
  
                    -कमलेश भट्ट कमल 

Friday, December 29, 2023

रिश्तों का इक हुजूम

रिश्तों का इक हुजूम था कहने को आस-पास,
जब वक़्त आ पड़ा तो तअ'ल्लुक़ सिमट गए।

-सीमाब सुल्तानपुरी

Tuesday, December 26, 2023

रहता नहीं इंसान

रहता नहीं इंसान तो मिट जाता है ग़म भी,
सो जाएँगे इक रोज़ ज़मीं ओढ़ के हम भी।

                -एहसान दानिश

Monday, December 11, 2023

रोज़ निकलता है

रोज़ निकलता है दफ़्तर तू क्यों घर की उलझन लेकर
क्यों दफ्तर की उलझन लाकर तू अपने घर रखता है

          -कमलेश भट्ट कमल

Sunday, December 10, 2023

रंग का रंग

'रंग' का रंग, ज़माने ने बहुत देखा है,
क्या कभी आपने बलवीर से बातें की हैं।

              -बलवीर सिंह रंग