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Thursday, December 28, 2023

मैं रौशनी हूँ

मैं रौशनी हूँ, तो मेरी पहुँच कहाँ तक है,
कभी चराग़ के नीचे बिखर के देखूँगी। 

   -अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

सँभाला होश जब

सँभाला होश जब हम ने तो कुछ मुख़्लिस अज़ीज़ों ने,
कई चेहरे दिए और एक पत्थर की ज़बाँ हम को।

-अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा