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Saturday, January 20, 2024

न हम होंगे

न हम होंगे न तुम होगे न दिल होगा मगर फिर भी
हज़ारों मंज़िलें होंगी हज़ारों कारवाँ होंगे

-मज़रूह सुल्तानपुरी 

Friday, December 08, 2023

मैं अकेला ही चला था

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर,

लोग साथ आते गए, और कारवाँ बनता गया।


-मज़रूह सुल्तानपुरी