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Wednesday, July 31, 2024
बस्ती में अपनी
बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमां जो बस गए
इंसां की शक्ल देखने को हम तरस गए
-
कैफ़ी आज़मी
Thursday, February 15, 2024
बस-कि दुश्वार
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना
आदमी को भी मुयस्सर नहीं इंसाँ होना
-मिर्ज़ा ग़ालिब
बरसों के रत-जगों
बरसों के रत-जगों की थकन खा गई मुझे
सूरज निकल रहा था कि नींद आ गई मुझे
-क़ैसर-उल जाफ़री
[1926 - 2005]
बरगद की शाख़
बरगद की शाख़ तोड़ दी आँधी ने पिछली रात
इस वास्ते तो गाँव का बूढ़ा उदास है
-इमरान राहिब
Wednesday, January 24, 2024
बढ़ते जाते
बढ़ते जाते टैक्स दनादन जनता भूखों मरती है
रिश्वत का बाज़ार गरम अब बिल्कुल खुल्लमखुला है
-गंगाभक़्त सिंह ‘भक़्त’
Tuesday, January 16, 2024
बिफरे समुंदरों
बिफरे समुंदरों पे बरसता चला गया
आया न अब्र धूप में तपते मकान पर
-रईस बाग़ी
बाग़ के सबसे
बाग़ के सबसे बड़े दुश्मन वही
कर रहे जो बाग़वानी इन दिनों
-कमल किशोर 'भावुक'
बारूदों, अंगारों
बारूदों, अंगारों, अंधे कुओं, सुरंगों, साँपों को
झेल रहीं सदियों से दिल्ली, अच्छी है जी अच्छी है
-कैलाश गौतम
Friday, January 05, 2024
बाजों ने जब से
बाजों ने जब से जश्न मनाने की ठान ली
कोटर में कबूतर तभी से तंगहाल हैं
-आसिफ रोहतासवी
Thursday, January 04, 2024
बच्चों के सच्चे
बच्चों के सच्चे ज़ेह्नों में झूठी बातें मत डालो
काँटों की सुहबत में रहकर फूल नुकीला हो जाता है
-शकील आज़मी
Sunday, December 31, 2023
बुलंदी पर उन्हें
बुलंदी पर उन्हें मिट्टी की ख़ुश्बू तक नहीं आती
ये वो शाख़ें हैं जिन को अब शजर अच्छा नहीं लगता
-जावेद अख़्तर
बढ़ने ही नहीं देता
बढ़ने ही नहीं देता आगे, क़दमों से लिपटा रहता है
दिल्ली में आया ही था क्यों, मैं साथ अपना क़स्बा लेकर
-सुरेन्द्र सिंघल
Friday, December 29, 2023
बिल्ली ने उस रात
बिल्ली ने उस रात घोंसला जब चिड़िया का तोड़ दिया,
पूरी रात बिना बच्चों के चीखी थी चिड़िया रानी।
-हरेराम समीप
बाढ़ की संभावनाएँ
बाढ़ की संभावनाएँ जिस जगह आँकी गईं,
दूर तक फैला हुआ वो एक रेगिस्तान है।
-सुरेश सपन
बड़े से भी बड़े
बड़े से भी बड़े पर्वत का सीना चीरता है खुद,
किसी के पाँव से चलकर कोई दरिया नहीं आता।
-हरेराम समीप
बेहतर कल की
बेहतर कल की आस में जीने की ख़ातिर,
अच्छे ख़ासे आज को खोना ठीक नहीं।
-पवन कुमार
बेतरतीब-सा घर
बेतरतीब-सा घर ही अच्छा लगता है,
बच्चों को चुपचाप बिठा के देख लिया।
-पवन कुमार
Thursday, December 28, 2023
बहुत पहले से
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं,
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं।
-फिराक़ गोरखपुरी
बैठे हैं रास्ते में
बैठे हैं रास्ते में दिल का खंडर सजा कर,
शायद इसी तरफ़ से इक दिन बहार गुज़रे।
-मीना कुमारी 'नाज़'
Wednesday, December 27, 2023
बे-ख़ुदी में हम तो
बे-ख़ुदी में हम तो तेरा दर समझ कर झुक गए,
अब ख़ुदा मालूम काबा था कि वो बुत-ख़ाना था।
-तालिब जयपुरी
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