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Sunday, December 31, 2023

हवा का रुख

हवा का रुख बदलने की, अगर ताक़त नहीं हममें 
किसी तिनके-सा उस रुख़ में, ज़रूरी तो नहीं बहना

-सुरेन्द्र सिंघल

वो केवल हुक्म देता है

वो केवल हुक्म देता है, सिपहसालार जो ठहरा 
मैं उसकी जंग लड़ता हूँ, मैं बस हथियार जो ठहरा

      -सुरेन्द्र सिंघल

मैं सावधान हूँ

मैं सावधान हूँ तुझसे, तू मुझसे चौकन्ना
तनिक तो सोच कि ये भी है कोई रिश्ता क्या 

-सुरेन्द्र सिंघल  

बढ़ने ही नहीं देता

बढ़ने ही नहीं देता आगे, क़दमों से लिपटा रहता है 
दिल्ली में आया ही था क्यों, मैं साथ अपना क़स्बा लेकर

-सुरेन्द्र सिंघल