ग़ज़लों के चुनिंदा शेर
कविता की पाठशाला
नवगीत की पाठशाला
नवगीत संग्रह और समीक्षा
लोक संस्कृति
हिंदी की सौ सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ
link
व्योम के पार
कविता की पाठशाला
Showing posts with label
-पी.पी. श्रीवास्तव रिंद
.
Show all posts
Showing posts with label
-पी.पी. श्रीवास्तव रिंद
.
Show all posts
Monday, January 22, 2024
ये खुश्क पत्ते
ये खुश्क पत्ते कहाँ से आए
अभी तो मौसम बहार का था
-पी.पी. श्रीवास्तव रिंद
Sunday, January 07, 2024
आँगन में धूप
आँगन में धूप, धूप को ओढ़े उदासियाँ
घर में थे ज़िंदगी के निशाँ कम बहुत ही कम
-पी पी श्रीवास्तव ‘रिंद’
Tuesday, December 26, 2023
आस्तीनों में छुपा कर
आस्तीनों में छुपा कर साँप भी लाए थे लोग,
शहर की इस भीड़ में कुछ लोग बाज़ीगर भी थे।
-पी.पी. श्रीवास्तव रिंद
Monday, December 25, 2023
खुली छतों पे
खुली छतों पे दुपट्टे हवा में उड़ते नहीं,
तुम्हारे शहर में क्या आसमान भी कम है।
-पी.पी. श्रीवास्तव रिंद
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)