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Monday, January 22, 2024

ये खुश्क पत्ते

ये खुश्क पत्ते कहाँ से आए
अभी तो मौसम बहार का था

          -पी.पी. श्रीवास्तव रिंद

Sunday, January 07, 2024

आँगन में धूप

आँगन में धूप, धूप को ओढ़े उदासियाँ 
घर में थे ज़िंदगी के निशाँ कम बहुत ही कम

-पी पी श्रीवास्तव ‘रिंद’

Tuesday, December 26, 2023

आस्तीनों में छुपा कर

आस्तीनों में छुपा कर साँप भी लाए थे लोग,
शहर की इस भीड़ में कुछ लोग बाज़ीगर भी थे। 

-पी.पी. श्रीवास्तव रिंद

Monday, December 25, 2023

खुली छतों पे

खुली छतों पे दुपट्टे हवा में उड़ते नहीं,
तुम्हारे शहर में क्या आसमान भी कम है।

           -पी.पी. श्रीवास्तव रिंद