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Wednesday, July 31, 2024

मस्जिद तो बना दी

मस्जिद तो बना दी शब भर में ईमाँ की हरारत वालों ने
मन अपना पुराना पापी है बरसों में नमाज़ी बन न सका

            -अल्लामा इक़बाल

Tuesday, April 02, 2024

मैं भी इससे जूझ रहा हूँ

मैं भी इससे जूझ रहा हूँ साहस की तलवार लिए
कटते-कटते कट जाएगा ये सारे का सारा दिन

                        -राजेन्द्र व्यथित
                    
(आजकल, जून 1991)

मंजिल है बहुत दूर

मंजिल है बहुत दूर बहुत दूर ये न देख
ये देख कि तय तुझसे कितना फासला हुआ

            -सत्यपाल सक्सेना

(आजकल, अक्तूबर 1983) 

Friday, March 08, 2024

माना कि इस

माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके 
कुछ ख़ार कम तो कर गए गुज़रे जिधर से हम 

-साहिर लुधियानवी

Thursday, February 15, 2024

मैं तो ग़ज़ल सुना के

मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए

                -कृष्ण बिहारी नूर

मिरी जगह

मिरी जगह कोई आईना रख लिया होता
न जाने तेरे तमाशे में मेरा काम है क्या

                -ज़ेब ग़ौरी

Monday, January 22, 2024

मैं समझता हूँ

मैं समझता हूँ ज़माने का मिज़ाज 
वो बनाएगा मिटा देगा मुझे

-शरर फतेहपुरी 

 

[शरर फतेहपुरी, मूल नाम- राम सिंह, 16 मई 1928- 26 नवंबर 1992, फतेहपुर, उ.प्र.] 

Sunday, January 21, 2024

महफ़िलों में

महफ़िलों में बात जब हक़ की उठी
रूठ के हुशियार कुछ, जाने लगे

-डॅा. वीरेन्द्र कुमार शेखर

Tuesday, January 16, 2024

मैं तो तस्वीर

मैं तो तस्वीर हूँ आँसू की, मुझे क्या मालूम
कैद रहते हैं कई दर्द के मंज़र मुझमें

            -गोविन्द गुलशन

मैं भी दरिया हूँ

मैं भी दरिया हूँ मगर सागर मेरी मंज़िल नहीं
मैं भी सागर हो गया तो मेरा क्या रह जायेगा
     
                        -राजगोपाल सिंह

मैं रहा चुप

मैं रहा चुप तो कोई और उधर बोल उठा
बात यह है कि तेरी बात चली मीलों तक

                   -कुँअर बेचैन

मुझको जग का

मुझको जग का कच्चा चिट्ठा भी लिखना है, मैं कैसे
ख़ूद को धोखा दूँ, मज़हब की धुन में पागल हो जाऊँ

                    -अशोक रावत

मुहब्बत करने

मुहब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है
सियासत दोस्ती की जड़ में मट्ठा डाल देती है

        -मुनव्वर राना

Thursday, January 11, 2024

मैंने हर रिश्ते में

मैंने हर रिश्ते में खाली लाभ तलाशा
मुझको अपने घर ही में बाज़ार मिला है

                    -लक्ष्मण

Friday, January 05, 2024

मत चिरागों को

मत चिरागों को हवा दो बालियाँ जल जायेंगी
ये हवन वो है कि जिसमें उँगलियाँ जल जायेंगी

              -सुरेन्द्र चतुर्वेदी

मेरी बस्ती के

मेरी बस्ती के सभी लोगों को जाने क्या हुआ
देखते रहते हैं सारे बोलता कोई नहीं 

         -माधव कौशिक

Thursday, January 04, 2024

मैं लानत भेजता हूँ

मैं लानत भेजता हूँ मुल्क की ऐसी तरक्की पर,
किसानों का मुकद्दर हो जहाँ मजदूर हो जाना!

        -अशोक रावत

मुझसे मिलने के लिए

मुझसे मिलने के लिए आए तो परदे में रहे
दर्द से कहना कि मेरे घर में सलीके से रहना

          -अशोक साहिल

मैं अपने घर का

मैं अपने घर का अकेला कमाने वाला हूँ
मुझे तो साँस भी आहिस्तगी से लेना है

        -शकील जमानी

मातहत होने का

मातहत होने का यह तो अर्थ हो सकता नहीं
उनके हर आदेश का, हर बात का स्वागत करूँ

          -मनोज अबोध