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Thursday, February 15, 2024

यूँ न मुरझा

यूँ न मुरझा कि मुझे ख़ुद पे भरोसा न रहे
पिछले मौसम में तेरे साथ खिला हूँ मैं भी

                -मज़हर इमाम

ये रंग-ए-बहार

ये रंग-ए-बहार-ए-आलम है क्यूँ फ़िक्र है तुझ को ऐ साक़ी
महफ़िल तो तिरी सूनी न हुई कुछ उठ भी गए कुछ आ भी गए

                -असरार-उल-हक़ मजाज़

ये बोला दिल्ली

ये बोला दिल्ली के कुत्ते से गाँव का कुत्ता
कहाँ से सीखी अदा तू ने दुम दबाने की

                -साग़र ख़य्यामी

याद के चाँद

याद के चाँद दिल में उतरते रहे
चाँदनी जगमगाती रही रात भर

            -मख़दूम मुहिउद्दीन

Monday, January 22, 2024

ये खुश्क पत्ते

ये खुश्क पत्ते कहाँ से आए
अभी तो मौसम बहार का था

          -पी.पी. श्रीवास्तव रिंद

ये लगता है

ये लगता है तरक़्क़ी कर रहे हैं 
गिरावट रोज़ बढ़ती जा रही है

-मौज फतेहगढ़ी 

Tuesday, January 16, 2024

याद अगर

याद अगर हम रखेंगे तो मर जाएँगे
इसलिए हादसों को भुलाना भी है

    -दीक्षित दनकौरी

ये मुमकिन था

ये मुमकिन था अँधेरा हार जाता
हमें कुछ और जलना चाहिये था

             -तुफ़ैल चतुर्वेदी

ये अपनी हद

ये अपनी हद से जो गुज़रे तबाह कर देंगे
समन्दरों को न छेड़ो, हदों में  दो

               -अतुल अजनबी

याद बरबस

याद बरबस आ गयी 'माँ' मैंने देखा जब कभी
मोमबत्ती को पिघलकर रोशनी देते हुए

                    -लक्ष्मीशंकर वाजपेयी

Saturday, January 06, 2024

ये माँ ही है

ये माँ ही है जो रह जाती है बस दो टूक रोटी पर
मगर बच्चों को अपने पेट-भर रोटी खिलाती है 

-राजेन्द्र वर्मा

Friday, January 05, 2024

यहाँ तक आते-आते

यहाँ तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियाँ
मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा

              -दुष्यन्त कुमार

Thursday, January 04, 2024

यहाँ तो शख़्स की

यहाँ तो शख़्स की पहचान हो गई मुश्किल
हमारे शहर में जिस्मों पे सर नहीं होता

      -परवेज़ अख़्तर

यही बेहतर है

यही बेहतर है अपने आप में अब सीख लें रहना
गए वो दिन चलन होता था जब मिलने-मिलाने का

          -मधु 'मधुमन'

Friday, December 29, 2023

ये जो संसद में

ये जो संसद में बिराजे हैं कई गोबर-गनेश, 
और कब तक हम उतारें इन बुतों की आरती।

-हरेराम समीप

Monday, December 25, 2023

ये जिस्म क्या है

ये जिस्म क्या है, कोई पैरहन उधार का है,
यहीं सँभाल के पहना, यहीं उतार चले।

            -आलोक श्रीवास्तव 

Thursday, December 21, 2023

यह इश्क़ नहीं आसां

यह इश्क़ नहीं आसां, इतना ही समझ लीजे,
एक आग का दरिया है, और डूब के जाना है। 

        -जिगर मुरादाबादी

यहाँ लिबास की

यहाँ लिबास की क़ीमत है, आदमी की नहीं,
मुझे गिलास बड़ा दे, शराब कम कर दे। 

             -बशीर बद्र

Tuesday, December 19, 2023

ये चरम सीमा है

ये चरम सीमा है, अपनी बुज़दिली की दोस्तो,
जब भी ईसा को मिली है सूलियाँ, हम चुप रहे।

                        -वीरेन्द्र कुँवर

Tuesday, December 12, 2023

ये जीत कभी

ये जीत कभी हार में तब्दील भी होगी,
कोई भी यहाँ वक़्त का सुल्तान नहीं है।

       -अनिरुद्ध सिन्हा