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Tuesday, January 16, 2024

जहाँ आप

जहाँ आप पहुँचे छलाँगें लगाकर
वहाँ मैं भी पहुँचा मगर धीरे-धीरे
 
             -रामदरश मिश्र

सत्य है दुबका

 सत्य है दुबका कहीं पर आदिबासी गाँव-सा
झूठ हँसता खिलखिलाता राजधानी की तरह

                  -रामदरश मिश्र

Saturday, January 06, 2024

रात कितनी भी

रात कितनी भी घनी हो सुबह आयेगी ज़रूर
लौट आया आपका विश्वास तो अच्छा लगा

-रामदरश मिश्र

Thursday, January 04, 2024

कौन सी धूप

कौन सी धूप इस मायानगर में दोस्तो
हम तो छोटे हो गए परछाईयाँ बढ़ती गईं

        -रामदरश मिश्र