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Sunday, December 31, 2023
वो चीख़ उभरी
वो चीख़ उभरी बड़ी देर गूँजी डूब गई
हर एक सुनता था लेकिन कोई हिला भी नहीं
-जावेद अख़्तर
बुलंदी पर उन्हें
बुलंदी पर उन्हें मिट्टी की ख़ुश्बू तक नहीं आती
ये वो शाख़ें हैं जिन को अब शजर अच्छा नहीं लगता
-जावेद अख़्तर
Tuesday, December 26, 2023
ग़लत बातों को
ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना,
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता।
-जावेद अख़्तर
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