Showing posts with label -लक्ष्मीशंकर वाजपेयी. Show all posts
Showing posts with label -लक्ष्मीशंकर वाजपेयी. Show all posts

Tuesday, January 16, 2024

पूरे गुलशन का

पूरे गुलशन का चलन, चाहे बिगड़ जाए मगर
बदचलन होने से, खुशबू तो बचा ली जाए

          -लक्ष्मीशंकर वाजपेयी

याद बरबस

याद बरबस आ गयी 'माँ' मैंने देखा जब कभी
मोमबत्ती को पिघलकर रोशनी देते हुए

                    -लक्ष्मीशंकर वाजपेयी

Monday, January 15, 2024

कुछ लुटेरों ने

कुछ लुटेरों ने भी पहना है फ़रिश्तों का लिबास
इनके बारे में ग़लतफ़हमी न पाली जाए

                -लक्ष्मीशंकर वाजपेयी

Thursday, January 11, 2024

शोले नफ़रत के

शोले नफ़रत के, ये बँटवारे, ये सहमी बस्ती
सब सियासत के इशारों का पता देते हैं

                    -लक्ष्मीशंकर वाजपेयी

वो हुकूमत को

वो हुकूमत को नज़र आते हैं, दुश्मन की तरह
जो भी 'सिस्टम' में दरारों का पता देते हैं

                    -लक्ष्मीशंकर वाजपेयी

Saturday, December 23, 2023

खंडहर पे इमारत तो

खंडहर पे इमारत तो नई हमने खड़ी की,
पर भूल ये की, नींव के पत्थर नहीं बदले।

-लक्ष्मीशंकर वाजपेयी