Showing posts with label -जिगर मुरादाबादी. Show all posts
Showing posts with label -जिगर मुरादाबादी. Show all posts

Wednesday, February 14, 2024

क्या हुस्न ने

क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है
हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है

                -जिगर मुरादाबादी

Saturday, January 06, 2024

इक लफ़्ज़-ए-मुहब्बत का

इक लफ़्ज़-ए-मुहब्बत का अदना सा फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़, फ़ैले तो ज़माना है

            -जिगर मुरादाबादी

Saturday, December 23, 2023

हम को मिटा सके

हम को मिटा सके, ये ज़माने में दम नहीं,
हम से ज़माना खुद है, ज़माने से हम नहीं। 

            -जिगर मुरादाबादी

Thursday, December 21, 2023

यह इश्क़ नहीं आसां

यह इश्क़ नहीं आसां, इतना ही समझ लीजे,
एक आग का दरिया है, और डूब के जाना है। 

        -जिगर मुरादाबादी