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Wednesday, July 31, 2024
बस्ती में अपनी
बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमां जो बस गए
इंसां की शक्ल देखने को हम तरस गए
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कैफ़ी आज़मी
Thursday, December 28, 2023
गुज़रने को तो
गुज़रने को तो हज़ारों ही क़ाफ़िले गुज़रे,
ज़मीं पे नक़्श-ए-क़दम बस किसी किसी का रहा।
-कैफ़ी आज़मी
शोर यूँही न
शोर यूँही न परिंदों ने मचाया होगा,
कोई जंगल की तरफ़ शहर से आया होगा।
-कैफ़ी आज़मी
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