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फर्रुखाबाद के शायर
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फर्रुखाबाद के शायर
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Wednesday, January 24, 2024
फिर हाथ मिलायेंगे
फिर हाथ मिलायेंगे तो शर्मिन्दगी होगी
ये सोच के रिश्तों की इबादत नहीं छोड़ी
-जावेद अकरम फारूक़ी
[ जावेद अकरम फारूक़ी, 01-06-1960, फतेहगढ़, फर्रुखाबाद, उ.प्र.]
Monday, January 22, 2024
दिल में बंदों के
दिल में बंदों के बहुत ख़ौफ़-ए-ख़ुदा था पहले
ये ज़माना कभी इतना न बुरा था पहले
-मौज फतेहगढ़ी
[राजेंद्र बहादुर मौज, 03 जुलाई 1922, फ़र्रूख़ाबाद, उत्तर प्रदेश]
Sunday, January 21, 2024
अब इत्र भी
अब इत्र भी मलो तो तकल्लुफ़ की बू कहाँ
वो दिन हवा हुए जो पसीना गुलाब था
-लाला माधव राम जौहर
[लाला माधव राम जौहर- 1810-1890, फ़र्रुख़ाबाद, उ.प्र.]
Thursday, January 11, 2024
जब तक वे
जब तक वे समंदर में समाते नहीं तब तक
दरिया तो किनारों से, किनारा नहीं करते
-कृष्णानन्द चौबे
.....................
[5 अगस्त 1931, कायमगंज, फर्रुखाबाद
Wednesday, January 10, 2024
दोस्तो इस दौर
दोस्तो इस दौर की सब से बड़ी ख़ूबी है ये
आदमी पत्थर का दिल पत्थर का घर पत्थर का है
-हैरत फ़र्रुख़ाबादी
[ हैरत फ़र्रुखाबादी, मूल नाम- ज्योति प्रसाद मिश्रा, 08 फरवरी 1930]
Saturday, January 06, 2024
हैं कंधे वही
हैं कंधे वही पालकी है वही
तमाशा अभी सब वही का वही
-डा० जगदीश व्योम
Friday, January 05, 2024
आज उनके हाथ में
आज उनके हाथ में है इस चमन की आबरू
कल थे जिनके बिस्तरों से तितिलियों के पर मिले
-डॉ. सन्तोष पाण्डेय
Wednesday, December 27, 2023
दूर फ़ज़ा में एक परिंदा
दूर फ़ज़ा में एक परिंदा खोया हुआ उड़ानों में ,
उस को क्या मालूम ज़मीं पर चढ़े हैं तीर कमानों में।
-शम्स फर्रुखाबादी
Monday, December 25, 2023
खुली छतों पे
खुली छतों पे दुपट्टे हवा में उड़ते नहीं,
तुम्हारे शहर में क्या आसमान भी कम है।
-पी.पी. श्रीवास्तव रिंद
झूठ के सिर पर
झूठ के सिर पर मुकुट है विक्रमी
'भक़्त' सच्चा आदमी संकट में है
-गंगाभक़्त सिंह 'भक़्त'
[गंगाभक़्त सिंह भक़्त, 1924- , फतेहगढ़, फर्रुखाबाद, उ. प्र.]
अपने अपने आकाओं
अपने अपने आकाओं की लिए यहाँ
ज़्यादातर कवि झूठ को सच्चा लिखते हैं
-राहुल रेड
Tuesday, December 12, 2023
चमन में आग न लगती
चमन में आग न लगती तो और क्या होता
के फूल फूल के दामन में इक शरारा था
-गुलाम रब्बानी 'ताबाँ'
[ गुलाम रब्बानी ताबाँ- 15-2-1914 - 07 -2-1993, कायमगंज, फर्रुखाबाद, उ.प्र.,
साहित्य अकादमी अवार्ड-1979 ]
Friday, December 08, 2023
जश्न है शाह की
जश्न है शाह की हवेली में शब्द शहनाइयाँ बजाते हैं
ताजपोशी भले किसी की हो हम सदा से चँवर डुलाते हैं
-शिवओम अम्बर
Thursday, December 07, 2023
इक ज़रा सी चाह में
इक ज़रा सी चाह में जिस रोज बिक जाता हूँ मैं
आईने के सामने उस दिन नहीं आता हूँ मैं
-आलोक यादव
[आलोक यादव, 30 जुलाई 1967, फर्रुखाबाद, उ.प्र.]
वक्त का सम्मान करना
वक्त का सम्मान करना, यदि नहीं आया तुम्हें,
तो निकलता जाएगा बस, आ के अवसर हाथ में।
-डा० वीरेन्द्र कुमार शेखर
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