Sunday, January 21, 2024

अब इत्र भी

अब इत्र भी मलो तो तकल्लुफ़ की बू कहाँ 
वो दिन हवा हुए जो पसीना गुलाब था

-लाला माधव राम जौहर
 

[लाला माधव राम जौहर- 1810-1890,  फ़र्रुख़ाबाद,  उ.प्र.]

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