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Thursday, December 28, 2023
कहीं न सब को
कहीं न सब को समुंदर बहा के ले जाए,
ये खेल ख़त्म करो कश्तियाँ बदलने का।
-शहरयार
उम्र भर सच ही
उम्र भर सच ही कहा सच के सिवा कुछ न कहा,
अज्र क्या इस का मिलेगा ये न सोचा हम ने।
-शहरयार
अब रात की
अब रात की दीवार को ढाना है ज़रूरी,
ये काम मगर मुझ से अकेले नहीं होगा।
-शहरयार
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