ग़ज़लों के चुनिंदा शेर
कविता की पाठशाला
नवगीत की पाठशाला
नवगीत संग्रह और समीक्षा
लोक संस्कृति
हिंदी की सौ सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ
link
व्योम के पार
कविता की पाठशाला
Showing posts with label
-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
.
Show all posts
Showing posts with label
-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
.
Show all posts
Sunday, December 31, 2023
पटे न जो तेरी
पटे न जो तेरी सूरज से, चाँद-तारों से
तो अपने हाथ में जुगनू की रोशनी रखना
-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
लिखा है जो मुक़द्दर में
लिखा है जो मुक़द्दर में, मिटाना उसको नामुमकिन
इसी भ्रम में सभी कुछ झेलना अच्छा नहीं लगता
-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
जब ये लगता है
जब ये लगता है, हक़ीक़त न सुनेगा कोई
अपनी फ़रियाद फ़सानों में सुना देते हैं
-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
न जाने बाँटता है
न जाने बाँटता है कौन सुख-दुख की ये सौगातें
उजाले मुट्ठियों में कैद, तम के पाँव पसरे हैं
-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
देवता भी हो
देवता भी हो अगर मग़रूर, उसके सामने
सर भले सिजदे में हो, पर बंदगी मत कीजिये
-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
तरक्की के अजब
तरक्की के अजब इस दौर से हम लोग गुज़रे हैं
बहुत सँवरे, सजे बाज़ार हैं, घर-बार बिखरे हैं
-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
तूने ली कभी
तूने ली कभी न मेरी ख़बर, मैं न तुझसे था कभी बेख़बर
न तुझे ही उसका मलाल है, न मुझे ही इसका मलाल है
-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
मैं इतनी बात तो
मैं इतनी बात तो दावे के साथ कहता हूँ
किसी भी राम से, रावण बड़ा नहीं होता
-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
मेरी कोशिश है
मेरी कोशिश है कि मुझको छोड़कर जायें न खुशियाँ
और ग़म कहता कि ऐ इंसान, क्या तू बावला है
-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)