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Sunday, December 31, 2023

पटे न जो तेरी

पटे न जो तेरी सूरज से, चाँद-तारों से 
तो अपने हाथ में जुगनू की रोशनी रखना

-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

लिखा है जो मुक़द्दर में

लिखा है जो मुक़द्दर में, मिटाना उसको नामुमकिन
इसी भ्रम में सभी कुछ झेलना अच्छा नहीं लगता

-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

जब ये लगता है

जब ये लगता है, हक़ीक़त न सुनेगा कोई
अपनी फ़रियाद फ़सानों में सुना देते हैं

-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

न जाने बाँटता है

न जाने बाँटता है कौन सुख-दुख की ये सौगातें
उजाले मुट्ठियों में कैद, तम के पाँव पसरे हैं

-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

देवता भी हो

देवता भी हो अगर मग़रूर, उसके सामने 
सर भले सिजदे में हो, पर बंदगी मत कीजिये

-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

तरक्की के अजब

तरक्की के अजब इस दौर से हम लोग गुज़रे हैं
बहुत सँवरे, सजे बाज़ार हैं, घर-बार बिखरे हैं

-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

तूने ली कभी

तूने ली कभी न मेरी ख़बर, मैं न तुझसे था कभी बेख़बर
न तुझे ही उसका मलाल है, न मुझे ही इसका मलाल है

     -ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

मैं इतनी बात तो

मैं इतनी बात तो दावे के साथ कहता हूँ
किसी भी राम से, रावण बड़ा नहीं होता

          -ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

मेरी कोशिश है

मेरी कोशिश है कि मुझको छोड़कर जायें न खुशियाँ
और ग़म कहता कि ऐ इंसान, क्या तू बावला है

-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'