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Wednesday, July 31, 2024
हंगामा है क्यूँ बरपा
हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है
-
अकबर इलाहाबादी
हो न मायूस
हो न मायूस ख़ुदा से 'बिस्मिल'
ये बुरे दिन भी गुज़र जाएँगे
-
बिस्मिल अज़ीमाबादी
Thursday, February 15, 2024
है शैख़ ओ
है शैख़ ओ बरहमन पर ग़ालिब गुमाँ हमारा
ये जानवर न चर लें सब गुल्सिताँ हमारा
-शौक़ बहराइची
हाँ उन्हीं लोगों से
हाँ उन्हीं लोगों से दुनिया में शिकायत है हमें
हाँ वही लोग जो अक्सर हमें याद आए हैं
-राही मासूम रज़ा
Wednesday, January 24, 2024
होता चला आया
होता चला आया है बे-दर्द ज़माने में
सच्चाई की राहों में काँटे सभी बोते हैं
-
हसरत जयपुरी
Monday, January 22, 2024
हमारे दिल में
हमारे दिल में छुपकर बैठ जाते हैं कई मौसम
सफर के वास्ते हम जब कभी तैयार होते हैं
-आलोक यादव
Tuesday, January 16, 2024
हमारे ही
हमारे ही क़दम छोटे थे वरना
यहाँ परबत कोई ऊँचा नहीं था
-हस्तीमल हस्ती
Monday, January 15, 2024
हमने माना कि
हमने माना कि महका के घर रख दिया
कितने फूलों का सिर काट कर रख दिया
-उदय प्रताप सिंह
Thursday, January 11, 2024
हो गए जब
हो गए जब बंद सारे रास्ते मेरे लिए
खुल गया कोई नया दरवाज़ा मेरे सामने!
-योगेन्द्रदत्त शर्मा
हाँ, गुज़र ही जाएगा
हाँ, गुज़र ही जाएगा दौर ये, नहीं दौर कोई भी मुस्तकिल
यही आदमी का यक़ीन है, यही वक़्त का भी बयान है !
-योगेन्द्रदत्त शर्मा
Sunday, January 07, 2024
हो चुकी जब
हो चुकी जब ख़त्म अपनी ज़िंदगी की दास्ताँ
उन की फ़रमाइश हुई है इस को दोबारा कहें
-शमशेर बहादुर सिंह
हर शख्स की
हर शख्स की खुशी में हुआ जब से मैं शरीक
उस दिन से मेरे घर कई त्यौहार हो गए
-अरुण साहिबाबादी
Saturday, January 06, 2024
हम तो अपने लिए
हम तो अपने लिए अपने ही जलाते हैं चराग़
चाँद-सूरज से उजाला नहीं माँगा करते
-अख़्तर नज़्मी
हवा नफ़रतों की
हवा नफ़रतों की चली तो थी लेकिन
मुहब्बत के अब भी दिये जल रहे हैं
-अनवारे इस्लाम
हैं कंधे वही
हैं कंधे वही पालकी है वही
तमाशा अभी सब वही का वही
-डा० जगदीश व्योम
Thursday, January 04, 2024
हो गई है
हो गई है नदी बहुत भावुक
याद कर के पहाड़ की बातें
-ओमप्रकाश यती
हम जहाजों में
हम जहाजों में उड़कर कहाँ जाएँगे
लौटना तो पुराने मुहल्ले में है!
-प्रदीप कुमार रौशन
हम चले तो
हम चले तो संग ग़म के काफ़िले भी चल दिये
हैं बहुत मायूसियाँ पर हौसले अपनी जगह
-पुष्पा रघु
Monday, January 01, 2024
हवा आने दो ताज़ा
हवा आने दो ताज़ा, खोल दो सब खिड़कियाँ घर की
हवा पे सबका हक है, यों हवा को रोकना कैसा
-कृष्ण शलभ
Sunday, December 31, 2023
हम तो बचपन से
हम तो बचपन से अँधेरों की पनाहों में रहे हैं
सिर्फ़ महलों तक रहे हैं, बस, बसेरे रोशनी के
-विनोद भृंग
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