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Wednesday, July 31, 2024

ख़ूब पर्दा है कि

ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं

            -दाग़ देहलवी

खींचो न कमानों को

खींचो न कमानों को न तलवार निकालो 
जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो 

            -अकबर इलाहाबादी

Thursday, May 30, 2024

खुद को

खुद को सूरज का तरफ़दार बनाने के लिए 
लोग निकले हैं चरागों को बुझाने के लिए। 
          -अकील नोमानी 

Tuesday, April 02, 2024

खिड़कियाँ खोलो

खिड़कियाँ खोलो जरा ताजी हवा आने तो दो
आदमी को आदमी की गंध भर पाने तो दो 

         -कमलेश भट्ट कमल


(आजकल, अक्तूबर 1982) 

खेत में गूँजते

खेत में गूँजते फागुनी गीत सब
किसने छीने, कहाँ खो गए गाँव में
 
       -डा० गिरिराज शरण अग्रवाल



(आजकल, जुलाई 1983 ) 

Monday, January 15, 2024

ख़ुदा के घर

ख़ुदा के घर उन्हें बख़्शीश मिलती है जो अपने
गुनाहों का घड़ा भरने से पहले फोड़ देते है

        -मासूम ग़ाज़ियाबादी

खिड़कियों से

खिड़कियों से जो मुझको दिखता था
मैंने उतना ही आस्मां समझा

             -गुलशन मदान

Wednesday, January 10, 2024

ख़ुदा ने किस शहर

ख़ुदा ने किस शहर अंदर हमन को लाए डाला है
न दिलबर है न साक़ी है न शीशा है न प्याला है 

                        -पंडित चंद्रभान बरहमन

Thursday, January 04, 2024

ख़ुद हवा आयी है

ख़ुद हवा आयी है चलकर तो चलो बुझ जायें
इक तमन्ना ही निकल जायेगी बेचारी की

             -अक़ील नोमानी

Saturday, December 30, 2023

खुद भी खो जाती है

खुद भी खो जाती है, मिट जाती है, मर जाती है
जब कोई क़ौम कभी अपनी ज़बाँ छोड़ती है

-कृष्ण बिहारी नूर

Wednesday, December 27, 2023

खींच रखती है

खींच रखती है मिरे पाँव को दहलीज़ तलक,
कोई ज़ंजीर है इस घर की निगहबानी में।

-शाहिदा हसन

Monday, December 25, 2023

खुली छतों पे

खुली छतों पे दुपट्टे हवा में उड़ते नहीं,
तुम्हारे शहर में क्या आसमान भी कम है।

           -पी.पी. श्रीवास्तव रिंद 

ख़ुद चिराग़ बन कर

ख़ुद चिराग़ बन कर जल वक़्त के अँधेरे में, 
भीख के उजालों से रौशनी नहीं होती। 

-हस्तीमल ‘हस्ती’

Saturday, December 23, 2023

खंडहर पे इमारत तो

खंडहर पे इमारत तो नई हमने खड़ी की,
पर भूल ये की, नींव के पत्थर नहीं बदले।

-लक्ष्मीशंकर वाजपेयी

Thursday, December 21, 2023

खुली छतों के दिये

खुली छतों के दिये, कब के बुझ गये होते,
कोई तो है, जो हवाओं के पर कतरता है।

                -वसीम बरेलवी

Sunday, December 10, 2023

खुदी को कर बुलन्द इतना

खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बन्दे से खुद पूछे, बता तेरी रज़ा क्या है।

                    -अल्लामा इक़बाल

Saturday, December 09, 2023

खेल-खिलौने

खेल-खिलौने, मीठे फल और कजरी-झूला देता है,

पेड़ अगर बूढ़ा हो जाए, तो भी छाया देता है।


                    -डॉ. वशिष्ठ अनूप