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-मिर्ज़ा ग़ालिब
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Thursday, February 15, 2024
बस-कि दुश्वार
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना
आदमी को भी मुयस्सर नहीं इंसाँ होना
-मिर्ज़ा ग़ालिब
Wednesday, February 14, 2024
इशरत-ए-क़तरा
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
-मिर्ज़ा ग़ालिब
Wednesday, December 27, 2023
हैं और भी दुनिया में
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे,
कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और।
-मिर्ज़ा ग़ालिब
आह को चाहिए
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक,
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक।
-मिर्ज़ा ग़ालिब
Tuesday, December 26, 2023
वो आए घर में हमारे
वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है,
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं।
-मिर्ज़ा ग़ालिब
इश्क़ ने
इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया,
वर्ना हम भी आदमी थे काम के।
-मिर्ज़ा ग़ालिब
हम को मालूम है
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है।
-मिर्ज़ा ग़ालिब
देखना तक़रीर की
देखना तक़रीर की लज़्ज़त कि जो उसने कहा,
मैंने ये जाना कि गोया ये भी मेरे दिल में है।
-मिर्जा ग़ालिब
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