Showing posts with label -वसीम बरेलवी. Show all posts
Showing posts with label -वसीम बरेलवी. Show all posts

Tuesday, July 30, 2024

वो झूट बोल रह था

वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े से

मैं ए'तिबार न करता तो और क्या करता

         -वसीम बरेलवी

Saturday, December 23, 2023

उसूलों पर जहाँ

उसूलों पर जहाँ आँच आए, टकराना ज़रूरी है,
जो ज़िन्दा हो, तो फिर, ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है। 

                    -वसीम  बरेलवी

Thursday, December 21, 2023

खुली छतों के दिये

खुली छतों के दिये, कब के बुझ गये होते,
कोई तो है, जो हवाओं के पर कतरता है।

                -वसीम बरेलवी

जमीं की कैसी वकालत हो

जमीं की कैसी वकालत हो, फिर नहीं चलती,
जब आसमां से कोई फैसला उतरता है।

                -वसीम बरेलवी

जहाँ रहेगा वहीं

जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा,
किसी चिराग़ का अपना मकां नहीं होता।

   -वसीम बरेलवी

Saturday, December 09, 2023

ज़रा-सा क़तरा

ज़रा-सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता है
समुंदरों ही के लहजे में बात करता है

शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं
किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है

             -वसीम बरेलवी