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Wednesday, January 24, 2024

लौट आते हैं

लौट आते हैं कदम रूठ के जाने वाले
माँ की आवाज़ जादू की छड़ी होती है 

        -जावेद अकरम फारूक़ी

दौलत, इज्जत

दौलत, इज्जत, शोहरत, अजमत सब कुछ चाट लिया दीमक ने
प्यार अमर था, प्यार अमर है, हारी दुनिया, जीता रिश्ता

          -जावेद अकरम फारूक़ी

एक से दुःख-सुख

एक से दुःख-सुख, एक सी पूजा, एक दुआ
प्यार का सच्चा मज़हब अच्छा लगता है

                        -जावेद अकरम फारूक़ी

फिर हाथ मिलायेंगे

फिर हाथ मिलायेंगे तो शर्मिन्दगी होगी
ये सोच के रिश्तों की इबादत नहीं छोड़ी

        -जावेद अकरम फारूक़ी



 [ जावेद अकरम फारूक़ी, 01-06-1960, फतेहगढ़, फर्रुखाबाद, उ.प्र.]