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Wednesday, January 17, 2024

जहाँ पिछले कई

जहाँ पिछले कई वर्षों से काले नाग बैठे हैं
वहाँ इक घोंसला चिड़ियों का था दादी बताती है

    -मुनव्वर राना 

Tuesday, January 16, 2024

चलती फिरती

चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है 
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है 

                    -मुनव्वर राना

सरफिरे लोग

सरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते हैं
हम इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं

    -मुनव्वर राना

मुहब्बत करने

मुहब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है
सियासत दोस्ती की जड़ में मट्ठा डाल देती है

        -मुनव्वर राना

तुम्हारे शहर में

तुम्हारे शहर में मय्यत को सब काँधा नहीं देते
हमारे गाँव में छप्पर भी सब मिलकर उठाते हैं

        -मुनव्वर राना 

तुम्हारी महफ़िलों में

तुम्हारी महफ़िलों में हम बड़े-बूढ़े जरूरी हैं
अगर हम ही नहीं होंगे तो पगड़ी कौन बाँधेगा

        -मुनव्वर राना 

नए कमरों में अब

नए कमरों में अब चीज़ें पुरानी कौन रखता है
परिन्दों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है


हमीं थामे रहे गिरती हुई दीवार को वरना, 
सलीके से बुजुर्गो को निशानी कौन रखता है।

-मुनव्वर राना