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Tuesday, April 02, 2024

अब तो पूरा जिस्म

अब तो पूरा जिस्म ही कुछ इस तरह बीमार है
पीठ बोझा हो गई है पेट पल्लेदार है
    -कुँअर बेचैन

(आजकल, जून 1991)

Tuesday, January 16, 2024

दिलों की साँकलें

दिलों की साँकलें और ज़हन की ये कुंडियाँ खोलो
बड़ी भारी घुटन है, द्वार खोलो, खिड़कियाँ खोलो

              -कुँअर बेचैन

मैं रहा चुप

मैं रहा चुप तो कोई और उधर बोल उठा
बात यह है कि तेरी बात चली मीलों तक

                   -कुँअर बेचैन

Thursday, January 04, 2024

रफ्तः रफ्तः जो

रफ्तः रफ्तः जो हक़ीकत थे, कहानी हो गए
ख़ून से सींचे हुए रिश्ते भी पानी हो गए

             -कुँअर बेचैन

दुकानों में खिलौने

दुकानों में खिलौने देखकर मुँह फेर लेते हैं
किसी मुफ़लिस के बच्चों की कोई देखे ये लाचारी

            -कुँअर बेचैन

मुझे यह भी मिले

मुझे यह भी मिले, वो भी मिले, रिश्ता भले टूटे
यही चाहें कोई रिश्ता निकट का छोड़ जाती हैं

                -कुँअर बेचैन

मैं कितने ही

मैं कितने ही बड़े लोगों की नीचाई से वाकिफ़ हूँ
बहुत मुश्किल है दुनिया में बड़े बनकर, बड़े रहना

            -कुँअर बेचैन

घर का बँटवारा हुआ

घर का बँटवारा हुआ तो घर का आँगन रो पड़ा
दिल भी कितने बँट रहे थे घर के बँटवारे के साथ

            -कुँअर बेचैन

जिन पे लफ़्ज़ों के

जिन पे लफ़्ज़ों के दिखावे के सिवा कुछ भी नहीं
उनको फनकार बनाने पे तुली है दुनिया

               -कुँअर बेचैन

Friday, December 08, 2023

उसने फेंके मुझ पे

उसने फेंके मुझ पे पत्थर और मैं जल की तरह,

और ऊपर, और ऊपर, और ऊपर उठ गया।


-कुँअर बेचैन


उँगलियाँ तो एक

उँगलियाँ तो एक सीमा तक बढ़ीं फिर रुक गईं

और उसके बाद बस नाखून ही बढ़ते रहे


-कुँअर बेचैन

चन्द दानों के लिए

चन्द दानों के लिए निकती जो बुलबुल नीड़ से

लौटकर आई भी तो टूटे हुए पर लाएगी


-कुँअर बेचैन