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Wednesday, July 24, 2024

लालच के

लालच के अंधों को भाता कब सुख-चैन ज़माने का,
अमन-चैन गर टिकता कुछ दिन, आ जाते भड़काने लोग।

-वीरेन्द्र कुमार शेखर

Wednesday, January 24, 2024

लौट आते हैं

लौट आते हैं कदम रूठ के जाने वाले
माँ की आवाज़ जादू की छड़ी होती है 

        -जावेद अकरम फारूक़ी

Monday, January 22, 2024

लम्हे के टूटने की

लम्हे के टूटने की सदा सुन रहा था मैं 
झपकी जो आँख सर पे नया आसमान था

-आदिल मंसूरी

Thursday, January 04, 2024

लाख कोशिशों के

लाख कोशिशों के बावजूद अंधकार,
रोशनी के वंश को मिटा नहीं सके

          -अशोक रावत

लोगो मेरे साथ चलो

लोगो मेरे साथ चलो तुम जो कुछ है वो आगे है
पीछे मुड़कर देखने वाला पत्थर का हो जाएगा

    -क़तील शिफ़ाई

लौट आए फिर

लौट आए फिर हरापन, ऐसी कुछ तरकीब कर
आरियां ही मत जुटा सूखे शजर के वास्ते 

            -कृष्ण गोपाल विद्यार्थी

लग गए जब

लग गए जब परिंदों के पर तो वो फिर
उड़ गए एक दिन आशियां छोड़ कर

                -मधु 'मधुमन'

लोग आवाज़

लोग आवाज़ उठाते नहीं मजबूरी में
और सरकार समझती है, रिआ’या ख़ुश है

                    -मधु 'मधुमन'

Sunday, December 31, 2023

लिखा है जो मुक़द्दर में

लिखा है जो मुक़द्दर में, मिटाना उसको नामुमकिन
इसी भ्रम में सभी कुछ झेलना अच्छा नहीं लगता

-ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

ले दे के अपने पास

ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम

                    -साहिर लुधियानवी

Friday, December 29, 2023

लहरों को भेजता है

लहरों को भेजता है तकाज़े के वास्ते, 
साहिल है क़र्ज़दार समंदर मुनीम है। 

-पवन कुमार

Saturday, December 23, 2023

लॉन में एक भी बेल

लॉन में एक भी बेल, ऐसी नहीं, जो देहाती परिन्दे' के पर बाँध लें,
जंगली आम की, जानलेवा महक, जब बुलायेगी, वापस चला जायेगा। 
         
                   -बशीर बद्र

Sunday, December 10, 2023

लोग टूट जाते हैं

लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में
                
                    -बशीर बद्र

Friday, December 08, 2023

लड़कियों के दुख

लड़कियों के दुख अजब होते हैं सुख उससे अजब

हँस रहीं हैं और काजल भीगता है साथ-साथ


-परवीन शाकिर