Wednesday, July 24, 2024

लालच के

लालच के अंधों को भाता कब सुख-चैन ज़माने का,
अमन-चैन गर टिकता कुछ दिन, आ जाते भड़काने लोग।

-वीरेन्द्र कुमार शेखर

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