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Saturday, March 29, 2025
पुरानी नींद में
पुरानी नींद में ही रात क्यों ठहरे
नए सूरज के सपने साथ लेकर चल।
-विनय मिश्र
Thursday, January 11, 2024
जो सियासत कहे
जो सियासत कहे उस पे कैसे चलें
आदमी हैं मशीनों के पुर्जे नहीं
-विनय मिश्र
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