न जाने वक़्त की रफ़्तार क्या दिखाती है
कभी कभी तो बड़ा ख़ौफ़ सा लगे है मुझे
-जाँ निसार अख़्तर
नए घर में पुराने एक दो आले तो रहने दो,
दिया बनकर वहीं से माँ हमेशा रोशनी देगी।
-जयकृष्ण राय तुषार
न शामिल हो गए होते अगर हम तुम भी साजिश में,
लहू अपने से सींचा ये चमन, यूँ ही न जल जाता।
-कुलदीप सलिल